उत्तराखंड की सिल्कयारी सुरंग में 12 नवंबर से फंसे हुए कुल 41 मजदूर अब भूमिगत जेल से बाहर निकाले जाने से बस कुछ ही घंटे दूर हैं। और बचावकर्मी “रैट-होल” खनन तकनीक की सहायता लेते हुए अब आखिरी कुछ मीटर तक का मलबा हटाने में लगे हुए हैं और सभी मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग में पाइप बिछाने का काम भी अब पूरा हो चुका है।
जल्द निकलेंगे लोग
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सभी जवान अब रस्सियों से बंधे स्ट्रेचर की सहायता से उन फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने का बस इंतजार कर रहे हैं। बीते 12 नवंबर को सिल्क्यारा की ओर से 205 से 260 मीटर के बीच सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। जो श्रमिक 260 मीटर के निशान से आगे थे वे फंस गए, और उनका निकास अवरुद्ध हो गया।
भारतीय वायु सेना ने उनके एक चिनूक हेलीकॉप्टर – एक ट्विन-रोटर हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर – को उत्तराखंड के चिन्यालीसौड़ में हवाई पट्टी पर भी तैनात किया है, और वहां सभी सिल्क्यारा सुरंग में भूमिगत फंसे 41 मजदूरों की देख भाल के लिए एक आपातकालीन चिकित्सा केंद्र भी स्थापित कर दिया गया है।
क्या है अपडेट
बीते 17 दिनों से, टीवी कैमरे उत्तराखंड सुरंग के प्रवेश द्वार पर मौजूद हैं, जहां ढहने के बाद से ही 41 मजदूर फंस गए थे। सभी फंसे हुए श्रमिक के घर वाले उत्तराखंड सुरंग बचाव अभियान में जल्द ही सफलता मिलने की उम्मीद लगाए हुए है, और सभी फंसे हुए श्रमिकों का परिवार अब उनका घर में स्वागत करने की तैयारी भी कर रहे हैं। एक मजदूर की मां ने कहा कि जब उनका बेटा वापस आएगा तो वह उसके लिए ‘खीर’ बनाएगी।
“उनकी सुरक्षित वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं”, असम राज्य के 2 श्रमिकों के फंसे होने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपना ये बयान दिया है। उन्होंने बताया कि कोकराझार जिले के दो श्रमिकों की सलामती पर पूरी तरह से नजर रख रहे हैं और अपडेट भी ले रहे हैं, जो उत्तरकाशी सुरंग के अंदर फंसे 41 लोगों में से हैं।