मालदीव में क्या कर रही भारतीय सैनिक, जिसे हटाना चाहते हैं मुइज्जू… जानें वजह

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Maldives: हाल ही में भारत (India) और मालदीव (Maldives) के बीच सोशल मीडिया (Social Media) पर विवाद छिड़ गया था। प्रधानमंत्री मोदी जी की लक्ष्यद्वीप टूरिज्म (Lakshadweep Tourism ) को प्रमोट (Promote) करने के बाद मालदीव के कुछ मिनिस्टर्स ने मोदी जी को अपशब्द कहा जिसके बाद भारतीय यूजर्स ने सोशल मीडिया पर मालदीव का बायकॉट (Boycott) करना शुरू कर दिया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने भारत को 15 मार्च तक भारतीय सैनिक को वापस बुलाने को कहा है। बीते रविवार को मालदीव और भारत के बीच मीटिंग हुई है जिसमें मालदीव के राष्ट्रपति ने भारतीय सैनिक को 15 मार्च तक मालदीव में रहने की इजाजत दी है।

आपको बता दें 2 महीने पहले भी भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग उठी थी लेकिन अब मालदीव ने 1 तारीख तय कर दी है जिसके तहत भारतीय सैनिकों को अब मालदीव छोड़ना होगा। आपको बता दे राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति सचिव अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने कहा ‘मालदीव में भारतीय सैनिक नहीं रह सकते हैं। मालदीव मे पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव की वादे की अनुसार यह राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के प्रशासन की नीति है।’

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जानें भारत के कितने सैनिक है मालदीव में

लेकिन सवाल यह उठता है कि मुइज्जु को आखिर भारतीय सैनिकों से क्या परेशानी है वह बार-बार भारतीय सैनिकों का मुद्दा क्यों उठा रहे हैं और भारतीय सैनिक मालवीय में क्या कर रहे हैं। आपको बता दें मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु ’इंडिया आउट’ के नाम पर ही पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। और उनका इंडिया आउट का स्लोगन देना सीधे तौर पर मालदीव से भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने से था। मुइज्जु के बयानों से ऐसा लगता है कि जैसे भारतीय सेवा की बहुत बड़ी टुकड़ी मालदीव में है लेकिन ऐसा नहीं है भारतीय सेना के मात्र 88 सैनिक ही मालदीव में है। पर सवाल यह उठता है कि यह भारतीय सैनिक मालदीव में कर क्या रहे हैं।

भारतीय सैनिको का मालदीव में क्या है कार्य

आपको बता दें यह भारतीय सैनिक मालदीव के सैनिकों को युद्ध नीति एवं बचाव सहायता के कार्यों में प्रशिक्षण देने गए हैं ताकि मुश्किल समय में मालदीव के सैनिक स्वयं ही मालदीव की सुरक्षा एवं नागरिकों की सहायता कर सकें। इसके बावजूद मालदीव के कुछ नागरिक और राजनेता ऐसे हैं जिन्होंने भारतीय सैनिकों का मालदीव में जमकर विरोध किया है और इसका राजनीतिक फायदा उठाया है। इन्होंने चुनाव के ‘ इंडिया आउट’ अभियान में भारतीय सैनिकों को गलत तरीके से बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है और भारतीय सैनिकों को मालदीव के लिए खतरा दिखाया है। भारत और मालदीव के रिश्ते एवं रक्षा सहित सहयोगों का एक लंबा इतिहास रहा है आपको बता दें नवंबर 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल गयूम की सरकार के अनुरोध पर भारतीय सैनिक वहां तख्तापलट को रोकने के लिए गए थे और विद्रोहियों को पकड़ने के बाद भारतीय सेना वहां से वापस भारत आ गई थी।