अपने आप मुड़ती है ट्रेन! तो ड्राइवर को किस बात की मितली है सैलरी, जानकर उड़ जाएंगे होश

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Train Loco Pilot Work: भारतीय रेलवे (Indian Railways) समय के साथ मॉडर्न और ऑटोमेटिक हो गया है, और इस आधुनिक युग में ट्रेन (Train) चलाने की प्रक्रिया पहले के समय से काफी ज्यादा बदल चुकी है। लाइनमैन (Line Man) पहले ट्रेन के रूट के हिसाब से पटरिया बदल देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। ट्रेन के मॉडल (Train Modal) और ऑटोमेटिक होने की वजह से ट्रैक एडजस्टमेंट स्वचालित रूप से होता है। इसीलिए ट्रेन में अब ना तो लाइनमैन की जरूरत है और ना ही लोको पायलट (loco pilot) को ट्रेन को मोड़ने की जरूरत है।

लेकिन क्या आपको पता है लोको पायलट कौन होता है और उनका क्या कार्य होता है अगर नहीं पता तो हम आपको बताते हैं कि लोको पायलट का क्या कार्य होता है और वह ट्रेन में कौन सी भूमिका निभाते हैं। रेल मेट्रो ट्रेन में आप कितनी शराब ले जा सकते हैं क्या नियम है नियम को तोड़ने में कितना जुर्माना होगा। और आखिरकार ट्रेनों में लोको पायलट की क्या महत्व है यह सारी बातें हम आपको बताएंगे।

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जानें लोको पायलट की ड्यूटी के बारें में

लोको पायलट की ड्यूटी की शुरुआत ट्रेन की इंजन और अन्य संबंधित पुर्जो की जांच से होती है। वह यह सुनिश्चित करता है की ट्रेन की इंजन वह उसके संबंधित पुर्जो में कोई गड़बड़ी नहीं है और ट्रेन में सभी जरूरत की सामग्री उपस्थित है और साथ ही ट्रेन के इंजन में पर्याप्त मात्रा में डीजल है कि नहीं। बाद में वे ट्रेन के मार्ग मैन्युअल और संकेत की जानकारी लेते हैं और स्टेशन मास्टर से परमिशन लेते हैं कारण यह है की ट्रेन में स्टेरिंग नहीं होता इसीलिए ट्रेन स्वचालित होता है लेकिन लोको पायलट निर्देश अनुसार कंट्रोल रूम से स्पीड और दिशा को नियंत्रण करता है। ऐसे में लोको पायलट की जिम्मेदारी होती है की ट्रेन स्टेशन से समय अनुसार निकले। साथ ही स्पीड के नियमों का भी पालन रखना होता है उन्हें ग्राउंड पर हर एक बड़ा का ध्यान रखना होगा और निर्देशानुसार ही चलना होगा

जानें लोको पायलेट कब बदलते है ट्रेन की स्पीड

आपको बता दें लोको पायलट को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है वह सिर्फ निर्देशों का पालन करते हैं। ट्रेन को कहां रुकना है और कब स्टेशन से निकलना है यह सब निर्देश मिलने पर ही लोको पायलट कार्य को आगे बढ़ते हैं लेकिन लोको पायलट को ट्रेन रोकने और चलाने का अधिकार है पटरी के बराबर लगे साइन बोर्ड के निर्देशों के अनुसार ही लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को बदलते हैं, इसके अलावा भी अलग-अलग निर्देशों का भी पालन करना होता है। कोहनी और धुंध में लोको पायलट की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।